روداد محبت کیا کہئےکچھ یاد رہی کچھ بھول گئے
غزل
روداد محبت کیا کہئے کچھ یاد رہی کچھ بھول گئے
دو دن کی مسّرت کیا کہئے کچھ یاد رہی کچھ بھول گئے
جب جام دیا تھا ساقی نے جب دور چلا تھا محفل میں
وہ ہوش کی مدّت کیا کہئے کچھ یاد رہی کچھ بھول گئے
اب وقت کے نازک ہونٹوں پرمجروح ترّنم رقصاں ہے
بیداد مشیت کیا کہئے کچھ یاد رہی کچھ بھول گئے
احساس کے میخانے میں کہاں اب فکرو نظر کی قندیلیں
آلام کی شدّت کیا کہئے کچھ یاد رہی کچھ بھول گئے
کچھ حال کے اندھے ساتھی تھے کچھ ماضی کے عیار سجن
احباب کی چاہت کیا کہئے کچھ یاد رہی کچھ بھل گئے
کانٹوں سے بھرا ہے دامن دل شبنم سے سلگتی ہیں آنکھیں
پھولوں کی سخاوت کیا کہئے کچھ یاد رہی کچھ بھول گئے
اب اپنی حقیقت بھی ساغربے ربت کہانی لگتی ہے
دُنیا کی حقیقت کیا کہئے کچھ یاد رہی کچھ بھول گئے
ساغر صدیقی
Saghar siddiqui urdu ghazals
ghazal
rodad-e-muhabat kya kahiekuch yad rahi kuch bhol gay
do den ki musarrat kya kahiy kuch yad rahi kuch bhol gay
jab jam deya tha saqi ny jab dur chala tha mehfil main
wo hosh ki mudat kya kahiy kuch yad rahi kuch bhol gay
ab waqt kay nazuk honto par majroh taranum raqsa hay
bedad-e-masheyat kya kahiy kuch yad rahi kuch bhol gay
ehsas kay mehanay may kahan ab fekr-o-nazar ki qandelain
aalam ki shedat kya kahiy kuch yad rahi kuch bhol gay
kuch hal kayanday sati yhay kuch mazi kay ayyar sajan
ahbab ki chahat kya kahiy kuch yad rahi kuch bhol gay
kanton say bhara hay damn del shabnam say sulagti hay ankay
pholon ki sahawat kya kahiy kuch yad rahi kuch bhol gay
ab apni haqeqat bhi saghar by rabat kahani lagti hay
dunya ki haqeqat kya kahy kuch yad rahi kuch bhol gay
saghar siddiqui
रोदद ने प्यार के बारे में क्या कहा, कुछ बातें याद रहीं और कुछ बातें भुला दी गईं
ग़ज़ाली
रोडड ने प्यार के बारे में क्या कहा?
दो दिन की खुशियों का क्या कहें, कुछ याद आते हैं तो कुछ भुला दिए जाते हैं
जब बटलर लगा था जाम, जब पार्टी में चला गया था
चेतना की अवधि क्या है? कुछ चीजें याद की जाती हैं और कुछ को भुला दिया जाता है
अब वक्त के नाजुक होठों पर जख्मी गीत नाचता है
बेदाद ने क्या कहा, कुछ बातें याद रहीं और कुछ भुला दी गईं
जहां अब अर्थ की मधुशाला में, चिंता, दृष्टि की लालटेन
दर्द की तीव्रता क्या है?कुछ याद आते हैं और कुछ भुला दिए जाते हैं
कुछ वर्तमान के अंधे साथी थे, कुछ अतीत के रईस
दोस्त क्या कहना चाहते हैं, कुछ याद आते हैं, कुछ भुला दिए जाते हैं
दिल काँटों से भरा है, आँखे ओस से जल रही है
क्या है कार्यकर्ताओं की उदारता?
अब हकीकत भी खुद पश्चिम से जुड़ी कहानी लगती है
क्या है दुनिया का सच, कुछ याद आते हैं कुछ भुला दिए जाते हैं
सागर सिद्दीकी
0 تبصرے