نظم کیفی اعظمی
کوئی یہ کیسے بتائے کہ، وہ تنہا کیوں ہے؟
وہ جو اپنا تھا ،وہی آور کسی کا کیوں ہے؟؟
یہی دُنیا ہے تو پھر، ایسی یہ دُنیا کیوں ہے؟؟
یہی ہوتا ہے تو، آخر یہی ہوتا کیوں ہے؟؟
ایک زرا ہاتھ بڑھا دیں تو، پکڑ لے دامن
اُس کے سینے میں سما جائے، ہماری دھڑکن
اتنی قُربت ہے تو پھر، فاصلہ اتنا کیوں ہے؟؟
دل برباد سے نکلا نہیں، اب تک کوئی
ایک لٹے گھر پہ، دیا کرتا ہے دستک کوئی
آس جو لُٹ گئی، پھر سے بندھاتا کیوں ہے؟؟
تم مسّرت کا کہو یا ، اسے غم کا رشتہ
کہتے ہیں پیار کا رشتہ ہے ، جنم کا رشتہ
ہے جنم کا جو یہ رشتہ تو، بدلتا کیوں ہے؟؟
کیفی اعظمی
kaifi uzma nazam
koi ye kasay batay ky wo tanha keon hay
wo jo apna tha wo awar kesi ka keon hay
yahi dunya hay tu pher asei ye dunya keon hay
yahi hota hay tu aaher yahi hota keon hay
ak zara hath bharha day tu pakarh lay daman
os kay senay may sama jay hamari dharhkan
etni qurbat hay tupehr fasela etna keon hay
del-e-barbad say nekla nahi ab tak koi
ak lutay ghar py deya karta hay dastak koi
aas ju lut gai pehr say bandata keon hay
tum musarrat ka kaho ya esay gham ka reshta
kehtay hain pyar ka reshta hay janam ka reshta
hay janam ka ye jo reshta tu badalta keon hay
kaifi uzma
कविता काफी बेहतरीन है
कोई कैसे बता सकता है कि वह अकेला क्यों है?
अपना क्या था, किसी और का क्यों है?
तो ये दुनिया है, ये दुनिया ऐसी क्यों है??
अगर ऐसा है तो ऐसा क्यों है?
थोड़ा हाथ बढ़ाओ तो पैर पकड़ लो
उसकी गोद में, हमारे दिल की धड़कन
इतनी नजदीकियां हैं तो इतनी दूरियां क्यों??
बर्बादी से दिल नहीं निकला, अब तक कोई नहीं
टूटे हुए घर पर कोई दस्तक देता है
क्या चुराया है फिर से क्यों बांधा है ??
इसे आप सुख कहें या गम
कहते हैं प्यार एक रिश्ता है, जन्म एक रिश्ता है
अगर यह रिश्ता पैदा होता है, तो यह क्यों बदलता है?
काफी अधिकतम
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